अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा शिक्षा जगत् में स्वतंत्र पहचान बनाने को अग्रसर मऊ जनपद के बगली पिजड़ा स्थित इस महाविद्यालय की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं समाज सेवक स्व० रामबचन सिंह के सत्प्रयासों से वर्ष 2006 में हुई। सुरम्य ग्रामीण अंचल, विशाल प्रांगण एवं सुरक्षित परिवेश में स्थित यह महाविद्यालय एक दशक से बालिकाओं में शिक्षा, संस्कार, कौशल, अनुशासन एवं आत्मविश्वास पैदा करने एवं उनके सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कर्ष के नित नये आयाम स्थापित कर रहा है। विविध विश्वविद्यालयों से उच्च योग्यता एवं मानक डिग्री धारक, लोकसेवा आयोग से चयनित विद्वान् एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अनुभवी प्राध्यापकों के कुशल नेतृत्व में इस महाविद्यालय की छात्राएँ न केवल विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों में अपनी प्रतिमा का परचम लहरा रही है अपितु विभिन्न शैक्षिक प्रतियोगिताओं व सरकारी सेवाओ में सफलता तथा खेल-कूद, पर्यावरण संरक्षण एवं अन्य सामाजिक क्षेत्रो में भी अपनी सशक्त नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा रही है।
शिक्षा के बाजारीकरण और आर्थिक शोषण के इस दौर मे सबसे कम शुल्क में मी आज यह महाविद्यालय गुरुकुल-सा वातावरण, पवित्र गुरु-शिष्य परम्परा, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, आधुनिक कौशल, अनुशासन, सस्कार युक्त जीवन शैली, मानवीय मूल्य एवं मौलिक विचारों के सृजन का अद्भुत केन्द्र है। वस्तुत हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि इस महाविद्यालय में प्रवेश लेकर अथवा किसी भी रूप में इसका हिस्सा बनकर आप स्वंय को अधिक गौरवान्वित महसूस करेंगे।